जौहर यूनिवर्सिटी फिरका़ परस्तों के निशाने पर
*आज़म खा़न के बहाने यूनिवर्सिटी को खत्म करने की साजिश*
रामपुर में स्थित महान स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मोहम्मद अली जौहर के नाम से मंसूब *"मोहम्मद अली यूनिवर्सिटी"* देश की पहली यूनिवर्सिटी है जो अपनी शिक्षा और इमारतों की बजाए अपने खिलाफ होने वाले मुकदमों से पहचानी जा रही है। जिस वक्त आज़म खा़न ने विधानसभा में इस यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव पेश किया था तो राजनीतिक जगत में भूचाल आ गया था क्योंकि आजाद हिंदुस्तान में पहली बार इतना बड़ा शैक्षणिक संस्थान बनाने का ऐलान हुआ था।
*इसलिए जो ताकतें मुसलमानों को सिर्फ बढ़ई, मैकेनिक और रंग पेंटर देखना चाहती थीं उन्हें कब गवारा हो सकता था कि मुसलमान आला तालीम हासिल कर सकें। बस उसी वक्त से यूनिवर्सिटी उनकी निगाहों का कांटा बन गई और साजिशों का दौर शुरू हो गया।*
उस वक्त केंद्र की कांग्रेस सरकार ने लंबे वक्त तक यूनिवर्सिटी के बिल को लटकाए रखा।
मंजूरी भी दी तो "मौलाना" को हटाकर। (जब के गैर मुस्लिम शख्सियतों की उपाधि को उनके नामों के साथ इस्तेमाल किए जाने का पूरे भारत भर में रिवाज है, जैसे संत रविदास ,संत कबीर नगर,महात्मा ज्योतिबाफुले यूनिवर्सिटी आदि,क्या कांग्रेस को मालूम नहीं था कि मोहम्मद अली जोहर एक "मौलाना" थे?
सबको मालूम था मगर बात वही है जो हम सब समझ रहे हैं !!
वह तो भला हो यूपी के गवर्नर जनाबअजी़ज़ कुरैशी का, जिन्होंने शिक्षा प्रेमी होने का सुबूत देते हुए सिर्फ 1 हफ्ते के अंदर पेंडिंग में पड़ी हुई सारी आपत्तियां निपटा कर यूनिवर्सिटी का रास्ता प्रशस्त किया। हालांकि उन्हें अपने इस काम के लिए खा़मियाजा़ भी भुगतना पड़ा और कांग्रेस सरकार ने उन्हें जल्द ही गवर्नरी से हटा दिया।
2014 में केंद्रीय सरकार भले ही बदल गई लेकिन यूनिवर्सिटी मुखा़लफत का जज्बा वही रहा।रह-रहकर यूनिवर्सिटी पर अलग-अलग बहानों से हमले किए जाते रहे लेकिन 2019 के संसदीय चुनावों के बाद फिरका़ परस्त ताकतों ने यूनिवर्सिटी के चांसलर आज़म खा़न के बहाने यूनिवर्सिटी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया जिसमें जाने अनजाने कुछ मुस्लिम लीडरान भी फिरका परस्तों की साजिश का शिकार हो रहे हैं।
मंजूरी भी दी तो "मौलाना" को हटाकर। (जब के गैर मुस्लिम शख्सियतों की उपाधि को उनके नामों के साथ इस्तेमाल किए जाने का पूरे भारत भर में रिवाज है, जैसे संत रविदास ,संत कबीर नगर,महात्मा ज्योतिबाफुले यूनिवर्सिटी आदि,क्या कांग्रेस को मालूम नहीं था कि मोहम्मद अली जोहर एक "मौलाना" थे?
सबको मालूम था मगर बात वही है जो हम सब समझ रहे हैं !!
वह तो भला हो यूपी के गवर्नर जनाबअजी़ज़ कुरैशी का, जिन्होंने शिक्षा प्रेमी होने का सुबूत देते हुए सिर्फ 1 हफ्ते के अंदर पेंडिंग में पड़ी हुई सारी आपत्तियां निपटा कर यूनिवर्सिटी का रास्ता प्रशस्त किया। हालांकि उन्हें अपने इस काम के लिए खा़मियाजा़ भी भुगतना पड़ा और कांग्रेस सरकार ने उन्हें जल्द ही गवर्नरी से हटा दिया।
2014 में केंद्रीय सरकार भले ही बदल गई लेकिन यूनिवर्सिटी मुखा़लफत का जज्बा वही रहा।रह-रहकर यूनिवर्सिटी पर अलग-अलग बहानों से हमले किए जाते रहे लेकिन 2019 के संसदीय चुनावों के बाद फिरका़ परस्त ताकतों ने यूनिवर्सिटी के चांसलर आज़म खा़न के बहाने यूनिवर्सिटी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया जिसमें जाने अनजाने कुछ मुस्लिम लीडरान भी फिरका परस्तों की साजिश का शिकार हो रहे हैं।
*साजिशों का जाल*
- 12 जुलाई को आज़म खा़न के खिलाफ जमीन हड़पने का पहला मुकदमा दर्ज हुआ।
- 17 जुलाई को एक ही दिन में आजम खान पर 8 मुकदमे दर्ज किए गए।
- सिर्फ 1 सप्ताह में आजम खान के खिलाफ 26 मुकदमे दर्ज किए गए। मुकदमा दर्ज कराने वाले सभी किसान आलिया गंज के रहने वाले हैं।
- इससे पहले जिला प्रशासन कोसी नदी के किनारे की 5 हेक्टेयर जमीन को नाजायज हड़पने का मुकदमा दर्जकराया।
- इस तरह 1 हफ्ते में आज़म खा़न के खिलाफ 27 मुकदमे दर्ज किए गए।
- 18 जुलाई को आजम खान को जिला प्रशासन ने भूमाफिया घोषित कर एंटी भू माफिया पोर्टल पर सूचीबद्ध किया
- 25 जुलाई एसडीएम कोर्ट यूनिवर्सिटी का मुख्य गेट तोड़ने का ऑर्डर जारी किया और यूनिवर्सिटी पर 3 करोड़ 27 लाख का जुर्माना लगाया।
- इससे कुछ माह पूर्व रामपुर से स्वार जाने वाले रोड पर बने हुए "उर्दू गेट" को जिला प्रशासन ने ढा दिया था।
- भू माफिया घोषित किए जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने रामपुर पुलिस से तमाम मुकदमों की तफसील मांगी है ताके आजम के खिलाफ मनी लांड्रिंग के केसों की जांच की जा सके।
- संसदीय चुनाव में आज़म के खिलाफ 15 मुकदमे दर्ज किऐ गए।
- कुल मिलाकर अब तक आज़म खा़न के खिलाफ 62 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।
वरना देश के हजारों करोड़ों रुपए लूटकर देश छोड़ने वाले विजय माल्या और नीरव मोदी के खिलाफ कोई कानूनी एक्शन क्यों नहीं लिया गया??
इन सारी जमीनों को खरीदे हुए 10 साल से ज्यादा का समय गुजर गया लेकिन कभी कोई शिकायत नहीं हुई। मगर हाल ही में समाप्त हुए संसदीय चुनावों में सत्ता पक्ष की एक हाईप्रोफाइल लीडर को हराने और पार्लियामेंट में मुस्लिम मसाइल पर खुलकर बोलने के बाद से ही अचानक ही सारे "पीड़ितों" को आगे बढ़ा दिया गया !!! आखिर इन किसानों को वरग़लाने वाले कौन हैं??
आज़म खा़न और उनकी पार्टी 2017 के शुरू ही से सत्ता से बाहर है अगर इन "पीड़ितों" को फरियाद करना थी तो उस वक्त क्यों नहीं की?
पिछले सवा 2 साल के (मार्च 2017 से जून 2019) के बीच में यह लोग कहां गायब थे?
और अचानक इसी जुलाई में सब के सब कैसे जाग गए??
पिछले सवा 2 साल के (मार्च 2017 से जून 2019) के बीच में यह लोग कहां गायब थे?
और अचानक इसी जुलाई में सब के सब कैसे जाग गए??
*मुस्लिम लीडरान और अवाम से गुजारिश*
- आज़म खा़न से आपके लाख राजनीतिक मतभेद हों, मगर जौहर यूनिवर्सिटी उनकी निजी संपत्ति नहीं बल्कि अवाम का सरमाया है आपके किसी कार्य से यूनिवर्सिटी पर आंच ना आने पाए।
- जिन लोगों ने मुक़दमात किऐ है,अगर वाकई उनकी ज़मीनें कम कीमत में खरीदी गई हैं तो वह सभी ये सोच कर मुकदमा वापस ले लें कि हमारे पूर्वज तालीम के लिए बड़ी-बड़ी जमीनें वक्फ करते आए हैं।
- आज़म खान जा़ती तौर पर चाहे जैसे हो उनके कुछ राजनीतिक फैसले भले ही विवादित हो लेकिन उन्होंने जौहर यूनिवर्सिटी जैसी तालीम गाह बना कर जो काम किया है आज़ादी के बाद इतने बड़े लेवल पर कोई मुस्लिम यूनिवर्सिटी नहीं बनाई गई इस स्तर पर बनने वाली यह पहली मुस्लिम यूनिवर्सिटी है। यह कौ़म के लिए है और इसकी हिफाजत भी कौ़म की जिम्मेदारी है।
- यूनिवर्सिटी में सिर्फ आज़म खा़न और उनके परिवार के ही नहीं बल्कि सारी कौ़म के बच्चे तालीम हासिल कर रहे हैं ऐसी तालीम गाहें कौम के उज्जवल भविष्य का निर्माण करती हैं।
- जौहर यूनिवर्सिटी का नुक़सान कौ़म के हर इंसान का जा़ती नुक़सान है।
- मुमकिन है आज़म खा़न के जा़ती अमल या राजनीतिक फैसलों से किसी को नुक़सान पहुंचा हो और आज वह लोग आज़म खा़न के खिलाफ कार्यवाही करके हो सकता है आज़म खा़न को नुक़सान पहुंचा दें,मगर फिरका़ परस्त ताक़तें सिर्फ आज़म खा़न को नुकसान पहुंचाकर नहीं रुकेगीं बल्कि आज़म खा़न की आड़ में यूनिवर्सिटी को खत्म करने की साजिशें करेंगी !!
*अच्छी तरह याद रखें आज़म खा़न सिर्फ एक बहाना है कौ़मे मुस्लिम और यूनिवर्सिटी असली निशाना है।अगर यूनिवर्सिटी को नुकसान पहुंचा तो आने वाली नस्लें हमें कभी माफ नहीं कर पाएंगी*
By: Ghulam Mustafa Naimi
Editor sawad e Azam Delhi
By: Ghulam Mustafa Naimi
Editor sawad e Azam Delhi
29/7/2019
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