Wednesday, August 21, 2019

राजा बनो मौत के मुंह में चले जाओ


किसी मुल्क़ में एक क़ानून था कि वो एक साल बाद अपना बादशाह बदल लेते।
उस दिन जो भी सब से पहले शहर में दाख़िल होता उसे बादशाह चुन लेते
और इससे पहले वाले बादशाह को एक बहुत ही ख़तरनाक और मीलों फैले जंगल के बीचों बीज छोड़ आते जहां बेचारा अगर दरिंदों से किसी तरह अपने आप को बचा लेता तो भूख- प्यास से मर जाता ।
दरबारियों ने उसे इस मुल्क़ का क़ानून बताया कि हर बादशाह को एक साल बाद जंगल में छोड़ दिया जाता है और नया बादशाह चुन लिया जाता है । ये सुनते ही वो परेशान हुआ
लेकिन फिर उसने अपनी अक़्ल को इस्तिमाल करते हुए कहा कि मुझे उस जगह लेकर जाओ जहाँ तुम बादशाह को छोड़कर आते हो।

दरबारियों ने सिपाहियों को साथ लिया और बादशाह सलामत को वो जगह दिखाने जंगल में ले गए , बादशाह ने अच्छी तरह उस जगह का जायज़ा लिया और वापस आ गया
अगले दिन उसने सबसे पहला हुक्म ये दिया कि मेरे महल से जंगल तक एक सड़क तामीर की जाये और जंगल के बीचों बीज एक ख़ूबसूरत महल तामीर किया जाये जहां पर हर किस्म की सहूलियतें मौजूद हों और महल के इर्द गिर्द ख़ूबसूरत बाग़ लगाए जाएं
कुछ ही अर्से में सड़क और महल बनकर तैय्यार हो गए एक साल के पूरे होते ही बादशाह ने दरबारियों से कहा कि अपनी रस्म पूरी करो और मुझे वहां छोड़ आओ जहां मुझ से पहले बादशाहों को छोड़ के आते थे।


आज राजा की विदाई का आखिरी दिन है!
लोग नहीं चाहते भी विदाई का इंतजारकर रहे हैं!
अचानक उनसे राजा उत्पन्न होता है
दूसरे लोगो से वह खुश होकर मिलता है

दरबारियों ने कहा कि बादशाह सलामत आज से ये रस्म ख़त्म हो गई क्योंकि हमें एक अक़लमंद बादशाह मिल गया है
वहाँ तो हम इन बेवक़ूफ बादशाहों को छोड़कर आते थे जो एक साल की बादशाही के मज़े में
बाक़ी की ज़िंदगी को भूल जाते और अपने लिए कोई इंतिज़ाम ना करते,
लेकिन आप ने अक़्लमंदी का मुज़ाहरा किया कि आगे का ख़ूब बंदोबस्त फ़र्मा लिया।
हमें ऐसे ही अक़लमंद बादशाह की ज़रूरत थी
अब आप आराम से सारी ज़िंदगी राज़ करें
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