निदनीय घटना - आज 300 साल पुराना हाथ से लिखा हुआ क़ुरआन शरीफ लाइब्रेरी से निकाल कर जमीन पर फेंक दिया गया,
तमाम प्राचीन वेद और ग्रंथ फाड़ दिए गए, स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी निशानियां तहस-नहस कर दी गई,ऐंटीक फर्नीचर और पेंटिंग तोड़े गए, यूनिवर्सिटी की संपत्ति को जमींदोज कर के बदला कोई पागल-सनकी आदमी ही ले सकता है,
सरकार को आज़म खान से चिढ़ नहीं है, अगर उनसे चिढ़ होती तो उन्हें जेल में डाल देती और मुकदमा चलाती,सरकार में बैठे ढोंगी को चिढ़ मौलाना "मोहम्मद अली ज़ोहर यूनिवर्सिटी"के नाम से है,
इस इदारे के आलीशान बिल्डिंग,गेट,बगीचे, क्लासरूम,हरियाली,फव्वारे उनकी आंखों में कांटों की तरह चुभ रहे थे,स्टाफ को डिटेन, शिक्षकों के साथ मारपीट,महिला कर्मचारियों को रात भर थाने में बिठाना ये दर्शाता है कि सत्ता के नशे चूर गुंडे किस हद तक गिरे हुए है,
जमीन का कब्ज़ा साबित नहीं हुआ,किताबों की चोरी का कोई प्रमाण नहीं मिला,किसी भी तरह की अनियमितता सामने नहीं आई तो यूनिवर्सिटी की संपत्ति और कर्मचारियों से बदला लिया जा रहा है,
मेडिकल कालेज के महंगे लैब इंस्ट्रूमेंट को जब्त कर लिया गया,बेशकीमती सजावट के सामान को ट्रकों में भर-भर के ले जाया गया,शिक्षा के मंदिर पर इससे बड़ा ज़ुल्म पूरे भरतीय इतिहास में नहीं हुआ होगा जितना जौहर यूनिवर्सिटी के साथ आज हो रहा है,
ये सब सिर्फ इसलिए कि ये इदारा विशेष रूप से एक खास समुदाय को शिक्षित करने की नीयत से बनाया गया है ? रामपुर जिला प्रशासन को ये नहीं भूलना चाहिए कि सत्ता हमेशा एक ब्यक्ति के हाथ मे नहीं रहती है,
वक़्त बदलेगा जो आज सत्ता में है वो कल नहीं होंगे, फिर आप क्या मुंह दिखाएंगे रामपुर की आवाम को जब वो आज के हिटलरशाही पर सवाल पूछेंगे ?
लाज़िम है कि हम भी देखेंगे,कड़ा विरोध,
कपी
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