Tuesday, July 23, 2019

خدا تجھے کسی طوفاں سے آشنا کردے

کون سنتا ہے فغان درویش آنسو سوکھ جائیں گے .......
مودی مخالف اور موافق سجادگان و مسند نشینان ہر ایک ایر کنڈیشن سے نکل کر رسم و رہ شبیری ادا کریں .........
اگرچہ حضرت عسجد رضا صاحب کی طرف یہ بات منسوب ہے کہ انہوں نے ایسا کہا ہے مگر ابھی تک اس خبر کو معتبریت حاصل نہیں ہو سکی صرف نشتر کا حوالہ ہے اس حوالہ سے ہم سچائی کا حرف اعتبار متیقن نہیں کر سکتے مگر ......علی سبیل التسلیم .......انہوں نے ایسا کہ بھی دیا تو ہم اس فیصلے سے اتفاق نہیں کرتے مگر کہاں ہیں خانقاہیں جہاں سے مولائیت اور اور سیادت کی خوشبوئیں مشام جاں کو معطر کرتی ہیں .......اجمیر شریف کے گدی نشینان چپ کیوں ہیں .......؟
آقایان مارہرہ کے لبہائے کرامت پہ قفل سکوت کیوں ہے.......؟
کچھوچھہ مقدسہ کی شخصیات محترمین کا موقف سکوت کیا حضرت عسجد میاں کے حق میں تائید سمجھی جائے
حضرت مدارالعالمین کے گدی کے وارثین " کربلائیت " اور دم بیڑا پار کو حالات کی روشنی میں سمجھنے کی کوششیں کریں گے ؟
دیوہ کی گلیاں کیا صرف لباس زرد ہی پہنیں گیں حالات کی سرخی کب سمجھ میں آئے گی ؟
بیجا پور کا شعور کب تناور درخت بنے گا ؟
محبوب الہی کی خانقاہ کے وارثین کیا صرف لال ڈائری پہ نذرانوں کی رقم کی رقم کرتے رہیں گے ؟
پھلواری شریف کا قفل سکوت کیسے ٹوٹے گا ؟
ایک دو زخم نہیں سارا بدن چھلنی ہے
درد بیچارہ پریشاں ہے کہاں سے اٹھے
وقت ہے ہوش کے ناخن لئے جائیں اتحاد ملی کے تقاضوں کو سمجھیں ورنہ مختلف مسالک کے حوارین رہیں نہ رہیں اشرفی رضوی برکاتی مداری وارثی ابولعلائی کوئی نہیں رہیں گے ......
ائر کنڈیشن سے نکال نکال کر کاٹ دیا جائے گا اس وقت ہم جیسوں کی آواز سمجھ میں کہ مآب لنچنگ کا درد کیا ہوتا ہے مگر ہائے افسوس ہم ان سے پہلے کٹ چکے ہیں ہم پر تو آنسو بہانے والے مل جائیں گے ..........مگر ان پر............؟
کفیل بابو آپ کی جرآت سے پیار کرتے ہیں ......کیوں کہ
راستہ ایک ہے ہم عشق کے دیوانوں کا
محمد نعمان اختر فائق الجمالی
دارالعلوم فیض الباری نوادہ بہار

श्री नरेन्द्र मोदी जी

सेवा में,
        श्री नरेन्द्र मोदी जी
         प्रधानमंत्री
         (भारत सरकार)
महोदय,

         हालांकि यह शिकायत आप सबसे ही है पर शिकायत करें तो किससे करें?  पता नही किस आधार पर हम सारे कर्मचारियों की 2004 से पेंशन खत्म कर दी। आपको यह तो पता ही होगा कि शुरू में सांसदों और विधायकों को केवल भत्ते मिलते थे, बाद में आप लोगों ने संविधान संशोधन द्वारा खुद की पेंशन भी जारी कर ली। आप सबने समाजसेवा के नाम पर राजनीति में प्रवेश किया था कि जन, समाज, क्षेत्र और देश का विकास करेंगे जबकि सफल होने पर खुद के लिए तनख्वाह, भत्ते, पेंशन आदि सारी सुविधाएं जुटा ली... अधिकार का ऐसा दुरुपयोग कोई आप लोगों से सीखे। क्या आप बता सकते हैं कि आप जैसे ही अन्य समाजसेवी गाँव के प्रधानों, बीडीसी मेम्बरों, जिला पंचायतों, व्लॉक प्रमुखों आदि को पेंसन क्यों नही मिलती। आप यह भी सोचिए कि राज्य के राज्यपाल को पेंसन नही मिलती, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के साथी को मुफ्त यात्रा का लाभ नही मिलता।         सरकारी अधिकारियों को दी जाने वाली पेंशन कर्मचारियों और सरकार के योगदान से बने फंड से दी जाती है। अर्थात जो हम देते हैं उसी में सरकार के योगदान को मिलाकर पाते हैं। जबकि आप सभी पूर्व विधायकों और पूर्व सांसदों को उस संचित निधि से पेंशन दी जाती है जिसमें आप सबका कोई योगदान भी नहीं हैं आप सबको मिलने वाली पेंशन हम करदाताओं का पैसा है। हमारी समझ से आप जैसे समाजसेवियों के लिए पद साघ्य नहीं जनता की सेवा का साधन मात्र है। खुद पे गौर करें...आप को प्रतिमाह लगभग 1 लाख 25 हज़ार रुपये वेतन के रूप में मिलते हैं। साथ ही आपको मुफ़्त आवास, यात्रा, चिकित्सा, टेलीफ़ोन आदि अन्य बहुत सी सुविधाएँ मुहैया करायी जाती हैं। भत्ते के रूप में आपको निर्वाचन क्षेत्र, आकस्मिक ख़र्च, अन्य ख़र्चे एवं डी.ए. आदि दिया जाता है। ठीक ऐसे ही मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को भी मनमाने ढंग से बहुत सारी सुविधाएं दी गयी हैं। *आप सबने एक दिन के लिए भी बने सांसदों व विधायकों को 20000 लगभग प्रतिमाह पेंशन तय कर लिया है* (जबकि आपको भी पता है कि उन्हें किसी तरह की पेंसन की जरूरत नही होती। ऐसे सभी लोग अरबपति होते हैं जो सैकडों लोगों को नौकर रख सकते हैं।) जबकि सरकारी कर्मचारियों को लंबी सेवा के बावजूद पुरानी पेंसन को समाप्त कर, अंशदायी पेंशन की अनिवार्य व्यवस्था की गई है जिसमे अब तक परिणाम जो सामने आए किसी को 900 रु महीने किसी को 1000 रु परिवार चलाने के लिए नई पेंशन दी जा रही है।हमारी कटौतियाँ पता नही किस कम्पनियों को जा रहा है यह विदित नही है और यह भी अंदेशा नही बल्कि विश्वास है कि NPS भविष्य की सबसे बड़ी घोटाला साबित होने जा रही है। ऐसा क्यों है कि आपकी पेंसन संचित निधि से दी जाए और हमारी पेंशन कम्पनी या बाजार तय करे? क्या यह व्यवस्था भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 के विपरीत नही है?
         आप और आपकी पार्टी वर्तमान में एक देश -एक टैक्स का बखान करते नहीं थक रही है और इस एक टैक्स से राष्ट्रवाद को बढावा मिलेगा आदि। तो माननीय प्रधानमंत्री जी यदि एक देश-एक टैक्स से राष्ट्रवाद बढता है तो एक देश-एक पेंशन(पुरानी पेंशन) से राष्ट्रवाद कम हो जाता है क्या? यदि देश के लाखों कर्मचारियों को वेतन, पेंशन, भत्ता आदि देने से भारत सरकार की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है तो क्या तमाम वर्तमान व पूर्व  सांसदों, विधायकों, मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों को वेतन, पेंशन, बंगला, गाडी, मुफ्त टेलीफोन, मुफ्त हवाई व रेल यात्रा, सस्ती कैण्टीन आदि में अरबों रुपये खर्च करने से भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है? भारत के लाखों कर्मचारी व आम जनता आपका विचार इस मुद्दे पर जानना चाहती है कि क्या केवल लाल ,नीली बत्ती हटा देने से सरकार के खर्चे में कटौती हो जायेगी? *वर्तमान में जब सभी टेलीकाम कम्पनियां 399 रु. में तीन महीने मुफ्त काल व नेट की सुविधा दे रहीं हैं तो भारत सरकार अपने सांसदो को 15000/- टेलीफोन भत्ता किसलिए दे रही है?* क्या देश की जनता मूर्ख है?
        आप सबने सुनियोजित ढंग से शिक्षक कर्मचारी पर आरोप लगाया कि वे कामचोर हैं, भ्रष्ट है। इसलिए पहले पेंशन बंद कर दी, समुचित वेतन नही बढ़ाया, अब वेतन आयोग को बंद कर रहे, अपने पूँजीपति भाइयों को खुश करने के लिए संस्थाओं का निजीकरण करने का मुद्दा उठा रहे। आम जन को आपकी कार्यशैली पसंद आ रही पर भेड़ जनता को हकीकत तब पता चलेगी जब हाथ में कुछ भी नही रह जायेगा। क्योंकि बुनियादी स्वास्थ्य के बिना मरीज अस्पतालों के बाहर मरे मिलेंगे और बुनियादी शिक्षा के बिना भारत जैसे देश के आधे नौनिहाल अशिक्षित रह जाएंगे। और तो और नुकसान की बात कर निजी कम्पनियां बीच मे स्कूल भी बंद कर देंगी अन्यथा खून चूसती रहेंगी। क्या आप सबको पता नही है कि निजी संस्थानों का मूल उद्देश्य तो लाभ होता है, वे उन्हीं उद्योगों को हाथ में लेते हैं, जहां लाभ अधिकतम और निश्चित हो । जनता को समझना होगा नौकरियों को समाप्त किया जा रहा है... जैसे अभी प्राथमिक में अचानक 66 हजार लगभग अध्यापकों को सरप्लस दिखा दिया गया।  आप जैसे कुछ लोगों का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र का आकार स्वतः भ्रष्टाचार में परिणत होता है। तो कैसे तमाम नॉर्डिक देशों में बड़े सार्वजनिक क्षेत्र हैं लेकिन भ्रष्टाचार कम है। यह देखने में आ रहा कि जैसी सरकार वैसा काम। एक बात और केवल हमें ही क्यों आप सब अपने को क्यों नही देखते? क्या आप सबसे हम ज्यादे अकर्मण्य है? क्या आप सबसे ज्यादे भ्रष्टाचारी हैं? हमारे ऊपर कोई जाँच आती है तो सेलरी रोक दी जाती है आपके ऊपर जाँच ही नही आती, आती भी है तो कोई आर्थिक नुकसान नही उठाना पड़ता। मतलब अधिकार सुख इतना मादक होता है कि सामान्य समझ भी नही रह जाती?         यदि 50 वर्ष पार कर चुके कर्मचारी की स्क्रीनिंग करके नौकरी से हटाया जा सकता है यदि ऐसा होगा  तो 50 की उम्र पार कर चुके नेताओं के स्क्रीनिंग की व्यवस्था क्यों नहीं है? ये कर्मचारी तो केवल एक विभाग या कार्यालय चलाते हैं यदि उसके कार्यक्षमता का इतना प्रभाव पड सकता है तो हमारे देश के नेता तो पूरा देश चला रहे हैं क्या 50 की उम्र पार कर चुके नेताओं के कार्यक्षमता का प्रभाव देश पर नहीं पडता होगा? 
         सुना है आप अपने 56 इंच का सीने से मन की बात करते हैं यदि वास्तव में ऐसा है तो हमारे उपरोक्त प्रश्नों का उत्तर आप अगले मन की बात में देश की जनता को बताने की कृपा करेगें।
                                प्रार्थी    
                   समस्त कर्मचारीगण
  निवेदन: सभी कर्मचारी इसको ज्यादा से ज्यादा शेयर जरूर करें  ये हमारे और हमारे परिवार के सुरक्षित भविष्य के लिये अतिआवश्यक है 

ادا کر خانقاہوں سے نکل کر رسم شبیری

ادا کر خانقاہوں سے نکل کر رسم شبیری پیر طریقت امام وقت پیر مہر علی شاہ(رح) جب مرزا دجال کا مقابلہ کرنے گولڑہ سے چلے تو ان کا ایک مرید جو کہ انگریز کی سی آئ ڈی میں تھا کہنے لگا کہ انگریز فیصلہ کر چکا ہے یا تو آپ کو مروا دے گا یا برصغیر سے نکال دے گا ملفوظات مہریہ میں یہ بات آپ نے خود لکھی ہے آپ نے سر مبارک اٹھایا آسمان کی طرف دیکھا اور فرمایا انگریزوں نے مجھے کیا نکالنا ہے لوح محفوظ پہ تو کچھ اور ہی لکھا ہے آپ مزید لکھتے ہیں کہ مجھے قریبی لوگوں نے اخلاص سے مشورہ دیا پر وہ اخلاص کا معنی نہ جانتے تھے یہ کونسا اخلاص ہوتا ہے کہ رسول اللہ کی ختم نبوت کا مسئلہ ہو اور مہر علی حالات کا رونا روتا رہے
آپ جلال میں آئے تو فرمایا
ہم سے ایسی بغیرت فقیری نہیں ہوتی کہ منکر ختم نبوت لاہور میں للکارتا رہے اور مہر علی گولڑہ میں بیٹھا رہے(ملفوظات مہریہ)
پھر اس اللہ کے شیر نے اکیلے اس سلطنت سے ٹکر لی جس کی ریاست میں سورج غروب نہ ہوتا تھا اور ساری دنیا کے سامنے کانے قادیانی کو بے نقاب کیا اور اس مردود کو ذلیل کر کے ختم نبوت کا علم بلند کیا
آپ نے ایک کتاب لکھی ہے سیف چشتیائ جو قادیانیوں کیلئے قیامت تک کیلئے چیلنج یے کوئ اس کا جواب نہیں دے سکتا پر افسوس پاکستان میں اس پر پابندی عائد کر دی گئ
یہ تو حشر کو ہو گا معلوم
جیتا کون اور ہارا کون
آپ فرمایا کرتے تھے کہ اے مسلمان جب تو کسی منکر ختم نبوت سے ملتا ہے تو گنبد خضری میں رسول اللہ(صلی اللہ علیہ وسلم) کا دل غمگین ہوتا ہے
بس ایک بات یاد رکھنا مسلمانو!
رسول اللہ(صلی اللہ علیہ وسلم)کی ظاہری حیات میں 74 جنگیں ہوئ جن میں 259 صحابہ شہید ہوئے پر صرف مسئلہ ختم نبوت پر یمامہ کے مقتل میں 1200 صحابہ شہید ہوئے صحابہ فرمایا کرتے تھے ہم نے ایسی جنگ نہ پہلے کبھی دیکھی نہ بعد میں کبھی بس سب سمجھوتہ کر لینا لیکن جب بات رسول اللہ(صلی اللہ علیہ وسلم) کی آجائے تو پھر سر کٹانے کیلئے تیار ہوجانا جس دن ایسا پھر دیکھنا مسلمانوں کا عروج کیسے واپس آتا ہے
صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم

زندوں کے رونے سے مردے پر عذاب ہوتا ھے

امام سعید بن منصور اپنے سنن میں حضرت عبداللہ بن مسعود رضی اللہ تعالی عنہ سے راوی انه رأى نسوة فى جنازة فقال ارجعن مأزورات غير مأجورات انكن لتفتن الاحياء وتوذين الاموات یعنی انہوں نے ایک جنازے میں کچھ عورتیں دیکھیں ارشاد فرمایا پلٹ جاؤ گناہ سے بوجھل ثواب سے اوجھل تم زندوں کو فتنے میں ڈالتی اور مردوں کو اذیت دیتی ہو- *نتبیہ* سیدِ عالم صلی اللہ علیہ وسلم نے جو حدیث صحیح مشہور میں فرمایا الميت يعذب ببكاء الحى عليه زندوں کے رونے سے مردے پر عذاب ہوتا ھے جسے امام احمد وشیخین نے عمرفاروق(1) وعبداللہ بن عمر(2) مغیرہ بن شعبہ(3) اور ابو یعلی نے ابوبکرصدیق(4) وابو ہریرہ(5) اور ابنِ حبان نے انس بن مالک(6) عمران بن حصین(7) اور طبرانی نے سمرہ بن جندب(8) سے روایت کیا رضی اللہ تعالی عنھم اجمعین (بحوالہ حیات الاموات صفحہ 54-55 نوری کتب خانہ بازار داتا صاحب لاھور بسلسلہء تبلیغ جماعتِ نوری از سرکار اعلی حضرت رضی اللہ تعالی عنہ)
✍محمد آصف رضا نوری لیاقتی
صدر امام احمد رضا فاؤنڈیشن
قصرِ رضا عید گاہ تالی روڈ
ٹھاکردوارہ ضلع مرادآباد یو پی

Monday, July 22, 2019

हज़रत ख़्वाजा बख़्तियार काकी

हज़रत ख़्वाजा बख़्तियार काकी रहमतुल्लाह अलैह का जब इन्तेक़ाल हुआ तो उनकी नमाज़े जनाज़ा के लिए लोग इकठ्ठा हुए। भीड़ में ऐलान हुआ की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने के लिए कुछ शर्तें हैं जिनकी वसीयत हज़रत ने की थी:
(1) मेरी नमाज़े जनाज़ा वो शख़्स पढ़ायेगा जिसने कभी भी बग़ैर वज़ू आसमान की तरफ़ न देखा हो।
(2) मेरी नमाज़े जनाज़ा वो पढ़ाएगा जिसने कभी किसी पराई औरत पर निगाह न डाली हो ।
(3) मेरी नमाज़े जनाज़ा वो शख़्स पढ़ायेगा जिसकी अस्र की 4 रक्अत सुन्नत कभी न छूटी हो।
(4) मेरी नमाज़े जनाज़ा वो शख़्स पढ़ायेगा जिसकी तहज्जुद की नमाज़ कभी न छूटी हो
जैसे ही भीड़ में ये ऐलान हुआ सारी भीड़ में एक सन्नाटा छा गया।
सब एक दुसरे का मुँह देखने लगे। सबके क़दम ठिठक गए। आँखे टकटकी लगाए हुए उस शख़्स का इंतज़ार करने लगीं की कौन है वो शख़्स! वक़्त गुज़रता जा रहा था लाखों की भीड़ मगर कोई क़दम आगे नहीं बढ़ा रहे थे। सारे लोग परेशान । सुबह से शाम होने को आने लगी मगर कोई क़दम आगे न बढ़ा।
◆ बड़े-बड़े उलेमा, मोहद्दिस, मुफ़स्सिर, दायी, सब ख़ामोश सबकी नज़रें नीची, कोई नहीं था जो इन चारों शर्तों पर खरा उतरता। एक अजीब बेचैनी थी लोगों में।
◆ अचानक भीड़ को चीरता हुआ एक नक़ाबपोश आगे बढ़ा और बोला "सफ़ें सीधी की जाएं मेरे अन्दर ये चारों शर्तें पायी जाती हैं।"
◆ फिर नमाज़े जनाज़ा हुई लोग बेचैन थे उस नेक और परहेज़गार इन्सान की शक्ल देखने के लिए.
नमाज़ ख़त्म होने के बाद वो शख़्स मुड़ा और अपने चेहरे से कपड़ा हटाया, लोगों की हैरत की इन्तेहा न थी, अरे ये तो बादशाहे वक़्त हैं ! अरे ये तो सुल्तान शमसुद्दीन अल्तमस  (जिन्हें आज इतिहास की किताबो में सुल्तान इल्तुतमिश के नाम से जाना जाता है जो
1211 -1236 तक हिन्द के बादशाह रहे इन्ही की बेटी रजिया सुल्ताना थी)                          
◆ बस यही अल्फाज़ हर एक की ज़ुबान पर थे। और इधर ये नेक और पाक दामन बादशाह दहाड़े मार कर रो रहा था और कह रहा था "आपने मेरा राज़ फ़ाश कर दिया"
"आपने मेरा राज़ फ़ाश कर दिया। वरना कोई मुझे नहीं जानता था"
मुसलमानो, ये है हमारी तारीख़ और ये हैं हमारे नेक और पाकदामन हुक्मरान।
◆ अपनी ज़िन्दगी इन लोगों की तरह जीने की कोशिश करो, कल लोग थोड़ा खाकर भी अल्हम्दुलिल्लाह कहते थे, आज अच्छा और ज़्यादा खाकर भी कहते हैं मज़ा नहीं आया।
◆ कल इन्सान शैतान के कामों से तौबा करता था, आज शैतान इन्सान के कामों से तौबा करता है।
◆ कल लोग अल्लाह के दीन के लिए जान देते थे, आज लोग माल के लिए जान देते हैं।
◆ कल घरों से क़ुरआन की तिलावत की आवाज़ आती थी, आज घरों से गाने की आवाज़ आती है।
◆ कल औलाद माँ-बाप का कहा मानती थी, आज माँ-बाप औलाद के कहने के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारते है।
◆ कल लोग क़ुरआन व हदीस के मुताबिक ज़िंदगी गुज़ारते थे, आज लोग माडर्न फ़ैशन के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारते हैं ।
◆ कल मुसलमान दयानतदारी, सच्चाई और हिम्मत व बहादुरी के लिए मशहूर था, आज मुसलमान  बदअखलाक और बद किरदार के लिए बदनाम है।
◆ कल लोग रात-दिन दीन सीखने और अल्लाह की इबादत में गुजारते थे, आज लोग अपना रात-दिन शोहरत और माल व दौलत कमाने में गुजारते है।
◆ कल लोग दीन के लिए सफर करते थे, आज लोग गुनाहों के लिए सफर करते है।
◆ कल लोग अल्लाह की रज़ा  के लिए हज करते थे, आज लोग नाम व शोहरत के लिए हज करते है।
◆ अल्लाह से दुआ है की - " ऐ दिलों के फेरने वाले हमारे दिलों को आज के बजाए आख़ेरत की तरफ़ फेर दे, ऐ अल्लाह जो हमारे हक़ में बेहतर हो ऐसा हमें अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमा, हमारी बुराईयां हमसे दूर फ़रमा।"
आमीन
फ़ोटो सोर्स गूगल
Shams-ud-Din Iltutmish (1211-1236 AD)

حمل سے پہلے اپنے جی پی سے مکمل معائنۂ صحت کروائیں

حمل سے پہلے اپنے جی پی سے مکمل معائنۂ صحت کروائیں،
بالخصوص اس صورت میں جب آپ کو صحت کے کوئی مسائل ہوں۔ صحت کے کچھ مسائل پر حمل اثرانداز ہو سکتا ہے جیسے ذیابیطس، ڈپریشن، ہائی بلڈ پریشر اور مرگی۔
آپ جو دوائیاں لے رہی ہوں، ان کے بارے میں بھی پوچھیں کہ کیا یہ نشوونما کے دوران بچے کو متاثر کر سکتی ہیں۔ یہ اہم ہے کہ آپ تب تک ہر قسم کی ادویات )نسخے پر ملنے والی، بغیر نسخے کے دستیاب اور زائد/مددگار دوائیاں( لینا نہ چھوڑیں جب تک آپ اپنے ڈاکٹر سے ان کے بارے میں بات نہ کر لیں۔
اپنے جی پی سے مل کر معلوم کریں کہ کیا آپ کو حفاظتی ٹیکوں کی
ضرورت ہے یا آپ خسرے، کن پیڑوں، روبیال اور ویریسیال چکن پاکس/کاکڑا الکڑا( سے محفوظ ہیں)۔
کافی وقت پہلے منصوبہ بندی کریں کیونکہ ممکن ہے آپ کو ان بیماریوں کے خلاف اپنی مدافعت کا پتہ چلانے کیلئے ٹیسٹ کرانے پڑیں۔
خسرے-کن پیڑوں اور روبیال کا حفاظتی ٹیکا لگوانے کے بعد آپ کو 28دن تک حاملہ نہیں ہونا چاہیئے۔
ماہرین کا مشورہ ہے کہ حاملہ ہونے کا ارادہ رکھنے والی عورتیں اور حاملہ عورتیں انفلوئنزا (فلو کے) خلافحفاظتی ٹیکا لگوائیں۔ حمل کے دوران کسی بھی وقت یہ ٹیکا لگوانا محفوظ ہے۔
آپ کو حمل کی تیسری سہ ماہی کے دوران کالی کھانسی کا ٹیکا لگوا لینا چاہیئے۔ آپ کے شریک حیات، بچے کے دادا دادی، نانا نانی اور بچے کو باقاعدگی سے سنبھالنے والے دوسرے لوگوں کو بچے کی پیدائش سے پہلے کالی کھانسی کا ٹیکا لگوانا چاہیئے۔ یہ اہم ہے کہ آپ کے دوسرے بچوں کو بھی کالی کھانسی کے خلاف ٹیکا لگا ہو۔
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سگرٹ کا دھواں

سانس کے ساتھ دوسرے لوگوں کے سگرٹ کا دھواں اندر جانے کو smoking Passive کہتے ہیں۔
جب بھی کوئی آپ کے پاس یا آپ کے بچے کے بچے کے پاس تمباکونوشی کرتا ہے تو آپ سب کے جسم میں بھی دھواں جاتا ہے۔جب آپ حاملہ ہوں تو دوسرے لوگوں کے سگریٹ کے دھوئیں سے بچنے کی کوشش کریں۔
جب بچہ پیدا ہو جاۓ تو ہرگز کسی کو اپنے بچے کے آس پاس تمباکونوشی نہ کرنے دیں۔ بچے کو ایسی جگہوں سے دور رکھیں جہاں لوگ تمباکونوشی کرتے ہیں۔
حمل کے دوران تمباکونوشی نقصان دہ ہے کیونکہ سگرٹ پینے والی ماؤں کے بچوں کیلئے یہ خطرات زیادہ ہوتے ہیں:
مردہ بچہ پیدا ہونے کا خطرہ
وقت سے پہلے پیدائش (جب بچہ حمل کا سینتیسواں ہفتہ ختم ہونے سے پہلے پیدا ہو جاۓ)
وزن کم ہونا۔ جب آپ تمباکونوشی کرتی ہیں تو سگرٹ کےنقصان دہ کیمیکلز آپ کے بچے کے خون میں داخل ہو جاتے ہیں۔ پھر بچے کو کم آکسیجن ملتی ہے اور اس کی نشوونما بھی ٹھیک نہیں ہوتی۔
کم وزن رکھنے والے بچوں کیلئے پیدائش کے بعد صحت کے مسائل کا زیادہ امکان ہوتا ہے۔
پیدائش کے بعد پھیپھڑوں کے مسائل ہونا جیسے دمہ
شیرخواری میں اچانک موت کا خطرہ ہونا۔

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