जी हां यह कौम मुर्दा है
मुर्दों से भी बदतर है
जिस्म का छलनी होना सुने थे। मगर पैलेट गन से कश्मीरी जवानों की छलनी होती जिसमें और अंधी होती आंखें देख भी लीं।
खुदा ही जाने उन पर क्या-क्या कयामत टूटती होंगी।
बेचारे कश्मीरी नौजवान बूढ़े बच्चे और मर्द रातों में जागकर अपनी मां और बहनों की इज्जत व आबरू की रखवाली करते हैं लेकिन रातों-रात उन्हें उठा लिया जाता है। अब तक न जाने कितने नौजवान अपने मां बाप से दूर हो चुके हैं जिनकी अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाई है।
International मीडिया आज यह दिखा रही है।
सब कुछ नहीं दिखा रही है
लेकिन जो दिख रहा है उसे ही देखा जाए तो आंखों से आंसू आने लगता है
कश्मीरियों की जगह अपने आप को महसूस करो तब उनकी तकलीफ कुछ समझ में आएगी
जानवरों की तरह पेट भर कर खाने और घोड़ा बेचकर सोने से तुम्हारा मर जाना ही बेहतर है।
जिस्म का छलनी होना सुने थे। मगर पैलेट गन से कश्मीरी जवानों की छलनी होती जिसमें और अंधी होती आंखें देख भी लीं।
खुदा ही जाने उन पर क्या-क्या कयामत टूटती होंगी।
बेचारे कश्मीरी नौजवान बूढ़े बच्चे और मर्द रातों में जागकर अपनी मां और बहनों की इज्जत व आबरू की रखवाली करते हैं लेकिन रातों-रात उन्हें उठा लिया जाता है। अब तक न जाने कितने नौजवान अपने मां बाप से दूर हो चुके हैं जिनकी अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाई है।
International मीडिया आज यह दिखा रही है।
सब कुछ नहीं दिखा रही है
लेकिन जो दिख रहा है उसे ही देखा जाए तो आंखों से आंसू आने लगता है
कश्मीरियों की जगह अपने आप को महसूस करो तब उनकी तकलीफ कुछ समझ में आएगी
जानवरों की तरह पेट भर कर खाने और घोड़ा बेचकर सोने से तुम्हारा मर जाना ही बेहतर है।
लेखक : मोहम्मद नूरुद्दीन
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