ट्रिपल तलाक विधेयक मुस्लिम महिलाओ के लिए काला कानून: एदार ए शरिया झारखंड..
रांची: एदार ए शरिया झारखंड का प्रेस कॉन्फ्रेंस प्रदेश कार्यालय इस्लामी मरकज हिन्द पीडी रांची में एदार ए शरीया झारखंड के नाजिमे आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी की अध्यक्षता में हुई। जिस में ट्रिपल तलाक से संबंधित केंद्र सरकार द्वारा लोक सभा और राज्य सभा में पारित किए जाने पर चर्चा हुई एवं इस के हर कानूनी पहलू पर विस्तार से शरीअत एवं संविधान के जानकारों ने अपनी बातें रखीं. विचार विमर्श के बाद सर्वसम्मति से निर्णय लेकर कहा गया कि किंन्द्र सरकार द्वारा लाएगए ट्रिपल तलाक कानुन मुस्लिम महिला विरोधी है इस कानून से उन मुस्लिम महिला को मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक परेशानी बढ़ेगी जो ट्रिपल तलाक से पीड़ित होंगी. चुंके कानुनु के अनुसार जब एक पति अपनी पत्नी को तीन तलाक देगा तो वह तलाक मान्य नहीं होगी और तलाक देने के बावजूद पीड़ित महिला तलाक देने वाले पति की पत्नी रहेगी फिर उस मुस्लिम महिला के पति को क्रिमिनल एकट के तेहत तीन वर्षो की सजा सीधे तोर पर हो जाएगी. सरकार कहती है कि इस दोरान पत्नी एवं बचों का खर्चा पति देगा प्रश्न ये है कि जब पति जेल में बंद कर दिया गया है तो वह खर्च कैसे दे पाएगा बैंक से पैसे निकालने या अपनी संपत्ति बेचने का समय भी नहीं दिया गया फिर अचानक पत्नी अपना एवं अपने बाल बचों की देख रेख स्कूल खान पान फीस दवा एलाज इतनी सारी जिम्मेदारीयौं से वह मुस्लिम महिला मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक रूप से अतिरिक्त टूट जाएगी. फिर सरकार का कहना है कि उस का पति जब जेल से तीन वर्षों बाद बाहर आएगा तो पत्नी को उसी तरह उसी के साथ रहना पडेगा। एदारा ने कहा कि इस जटिल परकरण से मुस्लिम महिला का जीवन नरक बन जायगा एवं उसके लिए जिन्दगी जीना दुश्वार हो जाएगा. उस महिला की तकलीफें बढ़ जाएंगी एवं तनाव पूर्ण जीवन हो जाए गी।ऊलामा ए केराम ने कहा कि शरीअत के अनुसार एक साथ तीन तलाक देने से तीन तलाक मानी जाएगी एवं तलाक देने वाला पति गुनाहगार होगा उस पर दैन मोहर एवं ईददत खर्च वाजिब है पत्नी का सारा सामान भी देना होगा। ऊलामा ने कहा कि उसे तीन नहीं पांच वर्षों की सजा सुनाई जानी चाहिए लेकिन सरकार तलाक को तलाक तो पहले मान कर पत्नी को तो आजाद करने का कानून लाकर पीड़ित महिला को सशक्त करे मगर सरकार को तो चुनावी लाभ लेना है इस लिए मुस्लिम महिला को विकास के रास्ते पर लेजाना नहीं चाहेगी। बैठक में इस विधेयक का कड़ा विरोध किया गया एवं इस को मुस्लिम महिला विरोधी के साथ संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के विपरीत करार देते हुए नफरत की सेयासत करने एवं मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों पर हमला करने का आरोप केंद्र सरकार पर लगाकर देश को कमजोर करने की साजिश बताया. और कहा कि केंद्र सरकार की नीयत साफ है तो हर सरकारी विभागों में 33% आरक्षण निर्धारित कर के दिखाए साथ ही जिन मुस्लिम महिलाओं के पति मॉब लिनचिंग के शिकार हुवे उन महिलाओं के साथ इन्साफ करे. बैठक में एदारा शरिया झारखंड के नाजिमे आला मोलाना क़ुतुबुद्दीन रिजवी, मोलाना जासीमुददीन खां, कारी ऐयूब रिजवी, मुफ्ती अब्दुल मालिक मिस्बाही, मोलाना डॉ ताजउद्दीन रिजवी, मोलाना नेजामुउद्दीन मिस्बाही, मोलाना मुफ्ती फैजूल्लाह मिस्बाही, मोलाना मुजीबउर रहमान, अधिवक्ता इरशाद खान, अधिवक्ता इम्तियाज अली, प्रो अब्दुल कायूम अंसारी, मोलाना मुफ्ती अब्दुल कुद्दूस मिस्बाही, मोलाना अशरफउल्ला फैजी, एस एम मोइन, मोलाना रेयाजूद्दीन, मौलाना अब्बास, मौलाना आफताब ज़िया, मौलाना शाहिद रज़ा, मौलाना गुलाम हैदर, हाफिज जावेद, मौलाना मंज़ूर हसन बरकाती, मौलाना वारिस जमाल, मौलाना नसीम अख्तर ताज, मौलाना शमशाद मिस्बाही, मौलाना नेजाम मिस्बाही, आदी शामिल थे.
मौलाना कुतुबुददीन रिजवी
9199780992