Thursday, July 18, 2019

संविधान का सच्च

👇संविधान का सच्च 👇*इसको बहुत ही गौर से पढ़े और आगे शेयर  जरूर  करें*

👉पेज न.132 :-

15 अगस्त 1947
पार्टिशन के बाद जो मुस्लिम अपनी इच्छा से भारत में रहना चाहता है बा इज़्ज़त भारत में रह सकता है क्यों की ये वो मुस्लिम है जिनके पुर्वजो ने भारत की आजादी में पूरा पूरा योगदान दिया और भारत के लिए बलिदान दिया ।

👉पेज न 156 :-

आरएसएस देश का सबसे बड़ा दुशमन है क्युकी इस संघठन ने भारत की आजादी के वक्त तिरंगा जलाया था और माहात्मा गाधी का हत्यारा आरएसएस पार्टी का नेता था और आरएसएस पर बैन लगाया।

👉1956 में जब आरएसएस पर से बैन हटाया तब कुछ शर्ते रखी वो शर्ते ये है की आरएसएस कभी भी राजनीती पार्टी में भाग नहीं लेगी सविधान में कभी शामिल नहीं होगी देशभक्त पार्टी कभी नही बनेगी सिर्फ एक संगठन ही चलाएगी ।

👉पेज न 197 :-

1971,
370 धारा , कश्मीर का भारत में विलय यानि भारत देश में शामिल होना कश्मीर एक आजाद देश था जिसे पाकिस्तान अपने देश में शामिल करना चाहता था इसको भारत में शामिल करने के लिए कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया यानि 370 धारा ।

👉और अब ये 370 धारा क्या है ?
और कश्मीर में क्यों लगी है ?
और क्यों नहीं हट सकती ?
370 धारा में ये है की कश्मीर में 6 साल का कार्यकाल है कोई भी व्यक्ति कश्मीर की लड़की से शादी कर के वहां की नागरिकता पा सकता है कश्मीर के अलावा बाहर का कोई भी इन्सान वहा पर जमीन नहीं खरीद सकता कश्मीर के पास केंद्र के सभी अधिकार है रक्षा और सूचना मंत्रालय छोड़ कर ।।

👉हस्ताक्षर :-

1.मोहम्मद अली जिन्ना ,
2.पंडित जवाहर लाल नेहरु ,
3.इंद्रा गांधी,
4.जरनल गेरी रिच्ल्ड ।।

👉ये सब साफ़ साफ सविधान में लिखा है। फिर भी भगवा पार्टीयां मुस्लिमो को गद्दार समझती हैं और आरएसएस को देशभक्त पार्टी समझति है ।।

👉भाइयो ये बहुत ही काम की बात है । इसे इतना फारवर्ड करना के इन सब भगवाधारियों की हक़ीक़त ज़ाहिर हो जाये।

👉 भगवा धारी हमारी मजलिस की हिस्ट्री खोज खोज कर सोशल नेटवर्किंग पर फैला रहे हैं । अब हम इनकी हिस्ट्री भी दुनिया के सामने ला कर इनकी असलियत बता देंगे।        c/p
क्या आप जानते हैं कि भगत सिंह के ‘केन्द्रीय असेम्बली’ में बम फैंकने के बाद उनके परिवार की मदद के लिये कोई आगे नहीं आया यह सोचकर कि ब्रिटिश सरकार प्रताड़ित करेगी, बदला लेगी, कोई भी डर की वजह से उनके परिवार को शरण देने के लिए आगे नहीं आया। जो हिन्दू या हिन्दुवादी आज डींगें हांक रहें हैं, उसका प्रशंसक होने का दावा कर रहे हैं, जो आज भगतसिंह की शहादत के गीत गा रहे हैं, उनमें से किसी का कोई पूर्वज भी आगे नहीं आया था। हिन्दु, सिक्ख सभी डर गये थे, शायद सबका ख़ून पानी हो गया था और तब...
सभी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, हर तरह के भय के बावजूद, शेरदिल मौलाना हबीबुर्रहमान लुधियानवी भगत सिंह के परिवार को शरण देने के लिए आगे आये थे।
बाद में जब एक मुस्लिम जज की अदालत में भगत सिंह का मामला पेश हुआ तो उस जज ने मामला लेने से इंकार करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
जब कोई हिन्दू या सिक्ख वकील मारे भय के भगत सिंह का केस लड़ने के लिए तैयार नहीं हुआ तो एक मुस्लिम वकील आसिफ अली ने भगत सिंह की पैरवी की थी। इन सब घटनाओं को याद करके और आज की परिस्थितियों को देख कर जो मुस्लिम को बदनाम करने और देशद्रोही का सर्टिफ़िकेट देने का अवसर तलाश करते रहते हैं हालांकि सच्चाई का उन्हें पूर्ण ज्ञान है कि कौन क्या था और क्या है। इन सब बातों पर अनायास हि कुछ पंक्तियां मेरे अंदर गूंजने लगती हैं और मैं गुनगुनाने लगता हूँ : -
"जब गुलों को लहू की ज़रूरत पड़ी
सबसे पहले ये गर्दन हमारी कटी
फिर भी कहते हैं मुझसे ये अहले चमन
यह चमन है हमारा तुम्हारा नहीं"
.......

*اپنی نسلوں کو لعنت سکول سے بچاو*

*اپنی نسلوں کو لعنت سکول سے بچاو*

یہ چھٹی یا ساتویں جماعت کا کمرہ تھا اور میں کسی اور ٹیچر کی جگہ کلاس لینے چلا گیا۔

تھکن کے باوجود  کامیابی کے موضوع پر طلبا کو لیکچر دیا اور پھر ہر ایک سے سوال کیا

ہاں جی تم نے کیا بننا ہے

ہاں جی آپ کیا بنو گے

ہاں جی آپ کاکیا ارادہ ہے کیا منزل ہے ۔

سب طلبا کے ملتے جلتے جواب ۔

ڈاکٹر
       انجینیر
            پولیس
                 فوجی
                    بزنس مین ۔

لیکن ایسے لیکچر کے بعد یہ میرا روٹین کا سوال تھا اور بچوں کے روٹین کے جواب ۔جن کو سننا کانوں کو بھلا اور دل کو خوشگوار لگتا تھا ۔

لیکن ایک جواب آج بھی دوبارہ سننے کو نا ملا کان تو اس کو سننے کے متلاشی تھے ہی مگر روح بھی بے چین تھی ۔

عینک لگاۓ بیٹھا خاموش گم سم بچہ جس کو میں نے بلند آواز سے پکار کر اس کی سوچوں کاتسلسل توڑا ۔

ہیلو ارے میرے شہزادے آپ نے کیا بننا ہے۔ آپ بھی بتا دو ۔کیا آپ سر تبسم سے ناراض ہیں۔

*بچہ آہستہ سے کھڑا ہوا اور کہا سر میں نور الدین زنگی بنوں گا۔*

میری حیرت کی انتہإ نا رہی اور کلاس کے دیگر بچے ہنسنے لگے ۔ اس کی آواز گویا میرا کلیجہ چیر گٸی ہو ۔ روح میں ارتعاش پیدا کر دیا ۔

پھر پوچھا بیٹا آپ کیا بنو گے ۔ سر میں نور الدین زنگی بادشاہ بنوں گا ۔ ادھر اس کاجواب دینا تھا ادھر میری روح بے چین ہو گٸی جیسے اسی جذبے کی اسی آواز کی تلاش میں اس شعبہ تدریس کواپنایا ہو ۔

بیٹا آپ ڈاکٹر فوجی یا انجینیر کیوں نہیں بنو گے ۔

سر امی نے بتایا ہے کہ اگر میں نور الدین زنگی بنوں گا تو مجھے نبی پاک ﷺ کا۔دیدار ہو گا جو لوگ ڈنمارک میں ہمارے پیارے نبی ﷺ کی شان میں گستاخی کررہے ہیں ان کو میں زندہ نہیں چھوڑوں گا ۔

اس کے ساتھ ساتھ اس بچے کی آواز بلند اور لہجے میں سختی آرہی تھی ۔

اس کی باتیں سن کر۔میرا جسم پسینہ میں شرابور ہو گیا ادھر کلاس کے اختتام کی گھنٹی بجی اور میں روتا ہوا باہر آیا ۔
مجھے اس بات کااحساس ہے کہ آج ماوں نے نور الدین زنگی پیدا کرنے چھوڑ دیے ہیں اور اساتذہ نے نور الدین زنگی بنانا چھوڑ دیے ہیں ۔

میں اس دن سے آج تا دم تحریر اپنے طلبا میں پھر سے وہ نور الدین زنگی تلاش کر رہاہوں ۔۔کیا آپ جانتے ہیں وہ کون ہے اس ماں نے اپنے بیٹے کو کس نورالدین زنگی کا تعارف کروایا ہو گا یہ واقعہ پڑھیے اور اپنے بچوں میں سے ایک عدد نور الدین زنگی قوم کو دیجیے۔

ایک رات سلطان نور الدین زنگی رحمتہ اللّه علیہ عشاء کی نماز پڑھ کر سوئے کہ اچانک اٹھ بیٹھے۔
اور نم آنکھوں سے فرمایا میرے ہوتے ہوئے میرے آقا دوعالم ﷺ کو کون ستا رہا ہے .

آپ اس خواب کے بارے میں سوچ رہے تھے جو مسلسل تین دن سے انہیں آ رہا تھااور آج پھر چند لمحوں پہلے انھیں آیا جس میں سرکار دو عالم نے دو افراد کی طرف اشارہ کر کے فرمایا کہ یہ مجھے ستا رہے ہیں.

اب سلطان کو قرار کہاں تھا انہوں نے چند ساتھی اور سپاہی لے کر دمشق سے مدینہ جانے کا ارادہ فرمایا .

اس وقت دمشق سے مدینہ کا راستہ ٢٠-٢٥ دن کا تھا مگر آپ نے بغیر آرام کیئے یہ راستہ ١٦ دن میں طے کیا. مدینہ پہنچ کر آپ نے مدینہ آنے اور جانے کے تمام راستے بند کرواے اور تمام خاص و عام کو اپنے ساتھ کھانے پر بلایا.

اب لوگ آ رہے تھے اور جا رہے تھے ، آپ ہر چہرہ دیکھتے مگر آپکو وہ چہرے نظر نہ آے اب سلطان کو فکر لاحق ہوئی اور آپ نے مدینے کے حاکم سے فرمایا کہ کیا کوئی ایسا ہے جو اس دعوت میں شریک نہیں .

جواب ملا کہ مدینے میں رہنے والوں میں سے تو کوئی نہیں مگر دو مغربی زائر ہیں جو روضہ رسول کے قریب ایک مکان میں رہتے ہیں .

تمام دن عبادت کرتے ہیں اور شام کو جنت البقیح میں لوگوں کو پانی پلاتے ہیں ، جو عرصہ دراز سے مدینہ میں مقیم ہیں.

سلطان نے ان سے ملنے کی خواہش ظاہر کی، دونوں زائر بظاہر بہت عبادت گزار لگتے تھے.

انکے گھر میں تھا ہی کیا ایک چٹائی اور دو چار ضرورت کی اشیاء.کہ یکدم سلطان کو چٹائی کے نیچے کا فرش لرزتا محسوس ہوا. آپ نے چٹائی ہٹا کے دیکھا تو وہاں ایک سرنگ تھی.

آپ نے اپنے سپاہی کو سرنگ میں اترنے کا حکم دیا .وہ سرنگ میں داخل ہویے اور واپس اکر بتایا کہ یہ سرنگ نبی پاک صلی اللہ علیھ والہ وسلم کی قبر مبارک کی طرف جاتی ہے،

یہ سن کر سلطان کے چہرے پر غیظ و غضب کی کیفیت تری ہوگئی .آپ نے دونوں زائرین سے پوچھا کے سچ بتاؤ کہ تم کون ہوں.

حیل و حجت کے بعد انہوں نے بتایا کے وہ یہودی ہیں اور اپنے قوم کی طرف سے تمہارے پیغمبر کے جسم اقدس کو چوری کرنے پر مامور کے گئے ہیں.

سلطان یہ سن کر رونے لگے ،

*اسی وقت ان دونوں کی گردنیں اڑا دی گئیں.*

سلطان روتے جاتے اور فرماتے جاتے کہ

💞"میرا نصیب کہ پوری دنیا میں سے اس خدمت کے لئے اس غلام کو چنا گیا"💞

اس ناپاک سازش کے بعد ضروری تھا کہ ایسی تمام سازشوں کا ہمیشہ کہ لیے خاتمہ کیا جاۓ سلطان نے معمار بلاۓ اور قبر اقدس کے چاروں طرف خندق کھودنے کا حکم دیا یہاں تک کے پانی نکل آے.سلطان کے حکم سے اس خندق میں پگھلا ہوا سیسہ بھر دیا گیا.

💞
بعض کے نزدیک سلطان کو سرنگ میں داخل ہو کر قبر انور پر حاضر ہو کر قدمین شریفین کو چومنے کی سعادت بھی نصیب ہوئی۔💞

تحریر لمبی ضرور ہے مگر آپ کو۔پسند آٸی توعشق آقا کےواسطے اسے شٸیر کیجیے گا ۔  اس تحریر کو کاپی کرتے ہوئے آگے بڑھائیے۔اچھی بات اگے پھیلانا بھی صدقہ ہے  شکریہ.

होशियार

मुसलमानो होशियार
कुछ आतंकी संगठन आपको जेल भिजवाने आपके घरों को लुटने आपके जान को नुकसान पहुंचाने आपको हर कारोबार से बईकाट करने का मुकम्मल प्लान बना चुका है
आपके पास बैल गाय बेच कर आपको फंसाने की कोशिश कर सकता है
आपको सस्ता जानवर दे कर लोभ दे रहा है
आपका दोस्त सहिया बन कर आपके भेद को आतंकवादी संगठन को पहुंचाने में जुट चुका है
इसलिए सभी मुसलमानो भाइयों सभी अंजुमन के सदर सेक्रेटरी एंव सदस्य गण से गुजारिश है कि अपने अपने अंजुमन के सभी लोगों को बैठा कर प्रतिबंध जानवर पर सख्त पाबंदी लगाएं
मुसलमानो को चाहिए के प्रतिबंध जानवर के  कारोबार का बाइकाट करे
कुर्बानी जिस पर वाजिब है वह शान से खससी बकरी की कुर्बानी करे
जिस जानवर पर प्रतिबंध है उससे परहेज करें
सब्जी खाने के आदी बनें कभी-कभार के लिए मुर्गी बकरी पालन करें
नोट यह मेरा निजी मशविरा है
मो मुमताज रजा
खादिम
तंजीम अहले सुन्नत कोडरमा झारखंड

औलाद और उसकी तरबियत

_*【औलाद और उसकी तरबियत】*_

*_जो औरत हमल की तकलीफ बर्दाश्त करती है उसे सारी रात नमाज़ पढ़ने का और हर दिन रोज़ा रखने का सवाब मिलता है और वो उस मुजाहिद की तरह है जो जिहाद में है और दर्दे ज़ह के हर झटके पर एक ग़ुलाम आज़ाद करने का अज्र मिलता है_*

*📚 ग़ुनियतुत तालिबीन,सफह 113*

*_हामिला औरत को चाहिए कि हमेशा खुश रहे,रोज़ाना ग़ुस्ल करे,पाक साफ कपड़े पहने,ग़िज़ा हलकी मगर मुक़व्वी खाये,खूबसूरत तस्वीरें देखें,बे वक़्त खाने पीने या सोने जागने से परहेज़ करे,फलों का इस्तेमाल ज़्यादा करे खासकर संगतरा कि संगतरा खाने से बच्चा खूबसूरत होगा,नमाज़ पढ़ना ना छोड़े और क़ुरान की तिलावत करती रहे खुसूसन सूरह मरियम की,अगर चाहते हैं कि आपका बच्चा आपका फरमाबरदार रहे तो सबसे पहले आपको नेक बनना पड़ेगा क्या सुना नहीं कि हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मां के पेट में ही 18 पारे के हाफिज़ हो गए थे मतलब साफ है आप जो भी करेंगे उसका सीधा असर आपके बच्चे पर पड़ेगा लिहाज़ा झूट चुग़ली बदनज़री गाना बजाना गाली गलौच हराम ग़िज़ा से परहेज़ी और तमाम मुंकिराते शरइया से बचें_*

*📚 सलीकये ज़िन्दगी,सफह 50*

*_बच्चा कभी मां के मुशाहबे होता है तो कभी बाप के ऐसा इसलिए होता है कि औरत के रहम में 2 खाने होते हैं,दायां लड़के के लिए और बायां लड़की के लिए,तो अगर मर्द का नुत्फा ग़ालिब आया और सीधे खाने में पड़ा तो लड़का होगा और उसकी आदत व चाल-ढाल मर्दाना ही होंगे लेकिन अगर मर्द का नुत्फा ग़ालिब तो आया मगर बाएं खाने में गिरा तो सूरतन तो लड़का होगा मगर उसके अंदर औरतों की खसलत मौजूद होगी मसलन दाढ़ी मुंडाना ज़ेवर पहनना हाथ पैर में मेंहदी लगाना औरतों जैसे बाल रखना जूड़ा बांधना यानि उसको औरतों की वज़अ कतअ बनाने का बड़ा शौक़ होगा युंही अगर औरत का नुत्फा ग़ालिब आया और बाएं खाने में गिरा तो ज़हिरो बातिन में लड़की ही होगी लेकिन अगर औरत का नुत्फा ग़ालिब तो आया मगर रहम के दाहिने खाने में रुका तो जब तो सूरतन लड़की होगी मगर उसके अंदर मरदाना खसलत पाई जायेगी मसलन घोड़ा चलाना बाईक चलाना मर्दाने कपड़े व जूते पहनना मर्दों की तरह छोटे छोटे बाल रखना बोल चाल में भी मरदाना पन रहेगा_*

*📚 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 362*

*_बच्चा मां और बाप दोनो का होता है मतलब उसकी हड्डियां मर्द के नुत्फे से बनती है और गोश्त वगैरह औरत के नुत्फे से_*

*📚 क्या आप जानते हैं,सफह 607*

سپر پاور کون؟

*سپر پاور کون ؟
*سپر پاور کون، اراکین یا شیاطین👇*
*ایک بار شیطان کی مدرسے کے ایک ٹرسٹی سے ملاقات ہو گئی، بات چیت کے دوران دونوں اس بات پر لڑ پڑے کہ سپر پاور کون؟*
*شیاطین یا اراکین،*

شیطان نے کہا:
میں نے ابو البشر آدم (علیہ السلام) کو دھوکہ دے کر جنت سے نکلوا دیا یہ ہے میری طاقت،

ٹرسٹی نے کہا:
ہم بھی نائبین رسول (علماء) کو پروپیگنڈا کر کے مدرسہ سے نکال دیتے ہیں، اس میں کون سی بڑی بات ہے،

شیطان نے کہا :
میں انسانوں کو پریشان کرتا ہوں ورغلاتا ہوں، بہکاتا ہوں.

ٹرسٹی نے کہا :
مَیں علماء کو پریشان کرتا ہوں، کبھی تنخواہ کاٹ کر، کھبی کاہلی کا الزام لگا کر،
اور سب سے بڑی بات میں اتنی تنخواہ ہی نہیں دیتا ہوں وہ کسی لمحہ خوش رہیں،
ٹرسٹی نے کہا ابے شیطان تُو، تو سلا دیتا ہے کبھی کبھار آرام سے،
ہم تو سکون سے سونے بھی نہیں دیتے.

شیطان نے کہا :
ایک مولوی کے پیچھے ہم ستر شیطان لگے رہتے ہیں.

ٹرسٹی :😀😀 پکڑی گئی نہ تمہاری کمزوری، تم سَتّر شیطان ایک مولوی کے پیچھے، ارے کمزورو ڈوب مرو،
ارے ہم میں کا ایک ٹرسٹی سَتّر مولویوں کو پریشان کرنے کے لئے کافی ہوتا ہے.

شیطان :
خاموش ہو گیا اس کے سمجھ میں نہیں آیا کہ کیا جواب دے.

ٹرسٹی:
پاجامہ اٹھا کر ہنستے ہوئے خوشی سے ناچنے لگا، اس کے ادارے کے مولوی صاحب نے اسے دیکھ کر ناچنے سے منع فرمایا،
ٹرسٹی نے کہا تم لوگ مجھے منع کرو گے ارے میں تم سے زیادہ جانکار ہوں، میں نے شیطان کو مات دی ہے.
اور سنو! آج سے ہمارے ادارے کو تمہاری ضرورت نہیں تمہیں بڑے لوگوں (اراکین) سے بات کرنے کا سلیقہ نہیں ہے ابھی اپنا سامان اٹھاؤ اور ادارے سے باہر نکل جاؤ
بیچارے مولوی صاحب  اپنا سامان لےکر گیٹ سے باہر نکلتے وقت یہ ارادہ کر لئے کہ اب میرے ہونے والے بچہ کو مولوی نہیں بناؤں گا تاکہ اسے یہ غیر معقول تنخوا کے ساتھ ایسی ذلت نہ اٹھانی پڑھے
ادھر شیطان یہ سب دیکھ رہا وہ ٹرسٹی کے سامنے گرگیا اور کہنے لگا
مان گئے بوس آپ کو، یقیناً آپ ہی ہم سے اعلی ہو
ہم تو بچہ کے پیدا ہونے کے بعد اسے دینی تعلیم سے روکنے کی کوشش کرتے ہیں مگر آپنے تو کمال ہی کر دیا پیدا ہونے سے پہلے ہی اس کی سیٹنگ کردی؟ واہ مان گئے بوس مان گئے

(یہ تحریر ظالم وجابر، جاہل، فتین، نکمے، اراکین کے لئے ہے)

Sunday, July 14, 2019

زائرہ وسیم

زائرہ وسیم ایک آئڈیل
 
         
         بنی اسرائیل کے ایک گنہگار شخص نے رب کی بارگاہ میں عرض کیا.. اے میرے پروردگار!میں نے 20 برس تیری اطاعت و بندگی میں گذارے اور 20 برس تیری معصیت اور نافرمانی میں۔ اب اگر میں واپس آنا چاہوں اور توبہ کرلوں تو کیا تو مجھے قبول کرلے گا؟اسے ایک ندا آئی:جب تک تو ہم سے محبت کرتا تھا ہم بھی تجھے چاہتے تھے اور جب تو ہمیں چھوڑ کر چلا گیا ہم نے بھی تجھے چھوڑ دیا۔تونے ہماری نافرمانی کی ہم نے تجھے مہلت دی اور اگر تو ہماری طرف پلٹنا چاہے تو ہم تجھے قبول کرلیں گے۔چنانچہ اس شخص نے سچے دل سے توبہ کی اور پھر سے اللہ کے عبادت گذاروں میں اس کا شمار ہونے لگا…
       زائرہ وسیم اٹھارہ سال کی ایک ایسی بچی ہے جس نے فلم انڈسٹری کی چکا چوندھ حیا شکن دنیا میں قدم رکھ کر شہرت کی بلندیوں کو پاپوش بنا لیا ، زائرہ کو فلم انڈسٹری میں ہاتھوں ہاتھ لیا جانے لگا اور بلاشبہ زائرہ ایک طبقے کے لیے آئڈیل بن گئ..               لیکن زائرہ کی اس گناہوں بھری ترقی والی زندگی سے اس کے پریوار کی ایک ذات قطعی خوش نہ تھی اور وہ اسکی اپنی ماں تھی ..زائرہ اپنی ڈائری میں لکھتی ہے کہ” فلم انڈسٹری کے ڈسیزن پر امی نے کلی طور پر مخالفت کی اور حتی المقدور مجھے روکنے کی کوشش کی لیکن پاپا نے موافقت کی اور میں فلمی دنیا میں آ گئ “..
      زائرہ لکھتی ہے کہ میری امی ایک دیندار گھرانے سے ہیں اور نماز کی پابند ہیں وہ میرے لیے ہمیشہ دعائیں کرتی کئی بار رات کو میں نے امی کو دعاؤں میں روتے ہوئے دیکھا، اکثر وہ مجھے سمجھایا کرتی…. خدا کا بے پناہ شکر و احسان کہ اس نے مجھے توبہ کی توفیق عطا فرمائ… زائرہ لکھتی ہے کہ امی نے میرے لیے ترکی کا ایک خوبصورت مصلی اور نماز کا نیا ڈوپٹہ بھی نکال رکھا ہے دو ایک بار ایسا ہوا کہ میں نے نماز کے بعد سلام پھیرا تو دیکھا امی میرے پیچھے کھڑی ہیں.. میں نے تعجب خیز نظروں سے دیکھ کر پوچھا، کوئی کام ہے کیا؟ امی بولی،،، نہیں میری جان تمھیں نماز پڑھتا دیکھ کر سوچ رہی تھی میں کتنی خوش نصیب ہوں جو اللہ پاک نے تمھاری ایسی پیاری بیٹی سے مجھے نوازا ہے…
      یقیناً زائرہ کے اس بہترین عمل میں اس کی ماں کا بنیادی کردار ہے(اللہ اس ماں کو سلامت رکھے) جس نے خدائے بزرگ و برتر کی بارگاہ میں اپنی اولاد کی ہدایت کی خاطر گریا و زاری کی.. تو خدائے رحمن نے اسے قبول فرما کر زائرہ کو راہ جنت عطا فرمائ..
     ہم تو مائل بہ کرم ہیں  کوئی سائل ہی نہیں
     راہ دکھلائیں کسے رہ روے منزل ہی نہیں
                   بلا شبہ زائرہ وسیم دنیاوی رنگینیوں میں اپنی آخرت کو تباہ کرنے والی لڑکیوں کے لیے ایک بہترین آئڈیل ہے.. اللہ تبارک و تعالیٰ ایسی تمام خواتین کو توبہ کی توفیق عطا فرمائے اور زائرہ وسیم کو استقامت عطا فرمائے…

*منقول*

ہندوستان سےمسلمانوں کا صفایا کیسے کیا جائے؟

#ہندوستان_سے_مسلمانوں_کا_صفایا_کیسے_کیا_جائے؟
وی ٹی راج شیکھر
ترجمہ محمد غزالی خان
یہ چشم کشا اور فکر انگیزمضمون دلت وائس، 16-31 مئی، 1999 ، میں شائع ہوا تھا جس میں معروف صحافی  وی ٹی راج شیکھر نے لکھا تھا: ’’ اس وقت تو محض بیج بوئے جا رہے ہیں فصل کاٹے جانے کا وقت تو ابھی آنا ہے۔ اور فصل کاٹے جانے  کے وقت ہندوستان میں جو کچھ کاٹا جا رہا ہوگا وہ وہی ہوگا جو اسپین میں ہوچکا ہے‘‘
میں نے گزشتہ ہفتے انگریزی والے مضمون کا لنک ایک دوست کی پوسٹ پر اپنے کمنٹ میں شامل کیا تھا جس پر کچھ دوستوں نے اس کے اردہ ترجمے کی فرمائش کی تھی۔ لہٰذا اردو ترجمہ حاضر ہے — غزالی
مسلمانوں نے اسپین پر 721   بعد از مسیح سے 780 بعد از مسیح تک حکومت کی۔ اس کے باوجود آج اسپین میں مسلمانوں کا وجود نہیں ہے۔ حالانکہ وہاں تمام شعبہ ہائے زندگی پر اسلام کے اثرات ہیں۔ اسپین کی زبان میں دیگر یوروپی زبانوں کی بانسبت عربی کے زیادہ الفاظ موجود ہیں، اس کی موسیقی پر عرب موسیقی کا اثر ہے، اس کی ثقافت پر یوروپین تہذیب کے بجائے عرب ثقافت  کی چھاپ ہے اور یہاں تک کے کہ عرب ناموں کی طرح یہاں ناموں کے شروع میں ’’ال‘‘ لگا ہوتا ہے۔ 1942 سے، جب غرناطہ میں مسلم سیاست کا آخری قلعہ مسمار ہوا تھا، اسپین میں مسلمانوں کے زوال کی شروعات ہو گئی تھی اور 120 سال بعد 1612 میں یہ زوال یہاں سے با عمل مسلمانوں کے آخری قافلے کی روانگی کے ساتھ اپنی انتہا کو پہنچ گیا تھا۔ اس سال کے بعد اسپین کے افق سے اسلام بالکل غائب ہو گیا۔
ایک قابل غورنکتہ یہ ہے کہ اسپین میں اسلام کی تنزلی کے اُس دور میں پوری مہذب دنیا پر مسلمانوں کی حکومت تھی۔ ترکی کی عثمانی خلافت قسطنطنیہ پر 1553 میں قبضہ کر چکی تھی اورجزیرہ نما بلقان کاتمام علاقہ اس کے زیر تسلط تھا۔ مصرمیں طاقت ور مملوک حاکم تھے۔ عباسیوں کے زیر حکمرانی ایران اپنے عروج پر تھا اور ہندوستان میں مغلوں کی حکومت تھی۔ اس کے باوجود اسپین کے مسلمانوں کو بچانے کیلئے ان عظیم افواج نے کچھ نہ کیا۔ اسپین میں اسلام کا خاتمہ کیسے ہوا؟ اس صدی کی 30 اور 40 کی دہائی میں ہندوستان کے ہندو فسطائیوں نے اس موضوع میں گہری دلچسپی لی تھی۔ انہوں نے اس کا مطالعہ اس غرض سے کیا تھا تاکہ ہندوستان میں اس کی نقل کی جا سکے۔ اسی کے ساتھ ساتھ ہندوستان میں اسپین کی کہانی دوہرائے جانے کو روکنے کیلئے مسلمانوں نے اپنے طور پر اس کا مطالعہ کیا تھا کیونکہ سب سے بڑی  اقلیت ہونے کی وجہ سے(1981 کی مردم شماری کے مطابق ان کا تناسب 11.35 ہے) وہ اعلیٰ ذات کے ہندوؤں کیلئے سب سے بڑا درد سر بن گئے ہیں۔ مگر ہندوستان کے مسلمان اسپین کی تاریخ اور اس کی بنیاد پر تیار کی جانے والی سازشوں سے لا علم ہیں۔
یہاں ہمارا مقصد اس موضوع پر کچھ روشنی ڈالنا ہے تاکہ مسلمانوں کا سنجیدہ طبقہ اور ان سے ہمدردی رکھنے والے افراد اس پہلو پر مزید تحقیق کرلیں۔ ہندوستان کی طرح اسپین کے مسلمانوں کی بھی تین اقسام تھیں: (1)اصل عربوں کی  اولادیں (2) عرب باپوں اور اسپینی ماؤں کی اولادیں (3) جنہوں نے عیسائیت چھوڑ کر اسلام قبول کرلیا تھا۔  سقوط غرناطہ کے بعد اپنی جانیں (دولت نہیں کیونکہ دولت لیجانے کی اجازت نہیں تھی) بچانے کیلئے اصل عرب تیونس اور مراکش چلے گئے۔ بہت سے عیسائی حملہ آوروں کے ہاتھوں مارے گئے۔ وہ عرب جنہوں نے اسپین میں رہنے کو ترجیح دی انہیں بالآخر ’’غیر ملکی‘‘اور اسپین کو برباد کرنے والے قرار دے دیا گیاِ، جیسا کہ ہندوستان میں کیا جارہا ہے)۔ دیگر مسلمان یعنی مسلمان باپوں اور عیسائی ماؤں کی اولادیں یا عیسائیت چھوڑ کر اسلام قبول کرنے والوں نے مکمل مذہبی آزادی دئے جانے کے شاہ فرنیڈانڈ کے اعلان پر یقین کرتے ہوئے  اسپین میں رہتے رہنے کا فیصلہ کیا۔ (ہندوستان میں بھی تو ہمیں یہ ہی بتایا جاتا ہے کہ مسلماوں کو مکمل مذہبی آزادی اور اقلیتی حقوق حاصل ہیں)۔ شروع کے سالوں میں ان کی زندگی اور املاک پر حملوں کو عارضی رویہ قرار دے کر معاف کردیا جاتا تھا۔
اس کا موازنہ 1947 میں تقسیم کے حالات سے کیجئے۔ (یہ مضمون 1999 میں لکھا گیا تھا۔ اسپین میں مسلمانوں پر حملوں اور قاتلوں اور جرائم کا ارتکاب کرنے والوں کا موازنہ گجرات، مظفر نگراور مالیگاؤں میں مسلمانوں کے قاتلوں کی یکے بعد دیگرے رہائی اور حکومت وقت کے ذریعے انہیں نوازے جانے سے کیجئے — مترجم)۔ اسپین میں مسلمانوں پر حملے محض اُسی وقت شروع نہیں ہوئے بلکہ 50 سال بعد تک اس سے کم شدت کے ساتھ وقتاً فوقتاً جاری رہے۔ بالکل جس طرح آج ہندوستان میں ہو رہا ہے۔ تقسیم کے بعد ابتدائی سالوں میں ہندوستانی مسلمانوں نے مزاحمت دکھائی اور حملہ آوروں کو جواب دیا۔ سڑکوں پر چھوٹی موٹی جھڑپیں ہوئیں مگر آہستہ آہستہ یہ یک طرفہ حملوں میں بدل گئیں اور شکست مسلمانوں کی ہوئی۔ اور اب تو ہندو پولیس کو مسلمانوں کے قتل کی کھلی چھٹی دے دی جاتی ہے۔
اسپین میں جس وقت منظم عیسائی گروپ قتل عام کا بازار گرم کئے ہوئے تھےِ، فرنیڈانڈ کی حکومت مسلمانوں کا نوکریوں سے صفایا کرنے کیلئے مندرجہ ذیل طریقوں پر عمل پیرا تھی:
• انتظامیہ سے عربی زبان کو خارج کردیا گیا۔ جو اسکول مساجد سے منسلک تھے ان پر پابندی لگادی گئی کہ غیر مذہبی مضامین، مسلاً سائنس، تاریخ، ریاضی، اور فلسفہ نہ پڑھائیں۔ وہ صرف مذہبی تعلیم دے سکتے تھے۔
• تاریخ کی تعلیم جھوٹے واقعات کی بنیاد پر دی جانے لگی جس میں مسلمان دور حکومت ظلم اور صفاکی کا دور بتایا گیا۔ اسپین کی تعمیر میں مسلمانوں کے کردار کو یکسر نظر انداز کردیا گیا۔
• ہتھیار جمع کرنے اور خفیہ میٹنگوں کے انعقاد کے الزام کے بہانے مسلمانوں کے گھروں کی آئے دن تلاشی ہوتی تھی۔
• نسلً اصلی عربوں کے بارے میں مشہور کردیا گیا تھا کہ وہ ملک دشمن ہیں اور یہ کہ انھوں نے اسپین کو تباہ کیا ہے۔
• جن عیسائیوں نے اسلام قبول کرلیا تھا ان کو یہ کہہ کر دوبارہ عیسائی بننے کی ترغیب دی گئی کہ ان کے اجداد کو زبردستی مسلمان بنالیا گیا تھا اور اب کیونکہ کوئی دباؤ موجود نہیں رہا، لہٰذا انہیں عیسائیت اختیار کر لینی چاہئے۔
• جن مسلمانوں کے اجداد عیسائی اور مسلمان تھے انہیں حرامی قرار دیا جاتا، ان کا مذاق اڑایا جاتا تھا اور ان پر عیسائیت قبول کرنے کیلئے دباؤ ڈالا جاتا تھا۔
• اسلامی طریقے سے ہونے والی شادیوں کا عدالت میں جا کر رجسٹریشن کروانا لازمی  کردیا گیا اوراسلامی قوانین کو غیر قانونی قرار دے دیا گیا۔
اسپین میں اختیار کیا  گیا ہر طریقہ اِس وقت ہندوستان میں نہایت ہوشیاری اورمنظم طریقے کے ساتھ آزمایا جارہا ہے۔
اسپین میں مسلمانوں کا مذاق اڑایا گیا، ان کی تذلیل کی گئی اوران پر مسلسل حملے کئے جاتے رہے۔ مسلمانوں کی معیشت برباد کرنے کیلئے ان کی دوکانوں اور مکانوں کو نطرآتش کرنے کیلئے اسپین کے لوگوں کو ترغیب دی گئی۔ مسلمانوں کے عیسائیت قبول کرنے کی علامتی تقریبات منعقد  کر کے ان کی تشیہر کی گئی۔ ہندوستان میں ہر طرح کے ہندونازی— آریہ سماج، راما کرشنا مشن، وشوا ہندو پریشد وغیرہ — بالکل یہی کام انجام دے رہے ہیں۔ اسپین کے مسلمانوں کی پہلی دو نسلوں نے اپنے بچوں کو گھروں اور مساجد میں عربی پڑھاکر اور زبانی طور پر انہیں حقیقت سے روشناس کروا کر اپنے مذہب کی حفاظت کا غیر فعال طریقہ اختیار کیا۔ مگر آہستہ آہستہ ان کا جذبہ سرد پڑتا گیا۔ جب یہ حکم نافذ ہوا کہ شادی صرف سرکاری اداروں کے ذریعے ہی کی جا سکے گی توشروع شروع میں مسلمان دو تقریبات منعقد کرتے رہے۔ ایک سرکاری ادارے میں اور دوسری اپنے گھروں پراسلامی طریقے سے۔ آہستہ آہستہ دوسری تقریب پر پابندی عائد کردی گئی اورگھروں میں منعقد کی جانے والی یہ تقاریب بھی غائب ہو گئیں۔
اس دوران مسلم قیادت کے ساتھ مسلمانوں کا رابطہ ختم ہو گیا اورمسلم اشرافیہ نے بڑی تعداد میں ترکی، تیونس، مراکش اورمصرکی جانب ہجرت کرلی جہاں جذبہ ہمدردی کے ساتھ ان کا خیر مقدم کیا گیا۔ اسپین کے غریب مسلمانوں کو ان کے حال پر چھوڑ دیا گیا۔ بالکل یہی سب کچھ ہندوستان میں ہورہا ہے۔ امیراور انگریزی تعلیم یافتہ مسلمان برہمنی اثرقبول کرتا جاررہا ہے۔ اس نے اعلیٰ ذات کے ہندوؤں کی نقالی شروع کردی ہے کیونکہ وہ  غریب مسلمان (جو 95% ہیں) بد حال بستیوں میں رہتے ہیں اور مراعت یافتہ طبقے کی بانسبت وہ اسلام پرزیادہ عمل کرتے ہیں۔ مسلم کش فسادات میں انہیں لوگوں کی جانیں جاتی ہیں۔
اسپین میں جو بیج نصف صدی کے پہلے حصے میں بوئے گئے تھے، نصف صدی کے بعد ان کی فصل پوری طرح پک کر تیار ہو گئی تھی۔ اب مسلمانوں کی حفاظت کرنے کیلئے نہ کوئی قیادت باقی رہ گئی تھی اور نہ اس صورتحال کا مقابلہ کرنے کیلئے کوئی با بصیرت شخصیت رہ گئی تھی۔ مذہبی قائدین، جنہیں دینیات کے علاوہ کسی اور چیز کا علم نہیں تھا، نے صورتحال سے نمٹنے کی بھر پور کوشش کی مگرحکومتی اداروں کے پروپیگنڈے، اس کی جانب سے دیا گیا لالچ ،عیسائیت قبول کرنے کے عوض بڑی بڑی پیشکشوں، اسلامی اقدار سے عوام کی ناواقفیت، اوران کے ذہنوں میں منظم طریقے سے پیدا کی گئی احساس کمتری کے سامنے علماء کی کوششیں بہت کمزور تھیں۔ اس صورتحال سے نمٹنے کیلئے سیاسی قیادت اور ایسی تنظیموں کی ضرورت تھی جن کے پاس حالات سے نمٹنے کیلئے وسا ئل دستیاب ہوں۔ جن مسلمانوں نے ترکی اور مصرکی مسلم حکومتوں سے مدد لینے کی بات کی مسلمانوں نے خود ان کی مخبری حکومت سے کی۔ مسلمانوں میں لڑنے کی خواہش کی عدم موجودگی کی وجہ سے کوئی بھی مسلم ملک ان کی مدد نہ کر سکا۔ جو مسلمان ترکی اور مصر میں ہجرت کر چکے تھے اُنہوں اِن حکومتوں کو اسپین کے مسلمانوں کی مدد کرنے کا خیال دل سے نکالنے کا مشورہ دیا کیونکہ اُن کی سوچ کے مطابق اِس سے مسلمانوں پر ہونے والے مظالم میں مزید شدت آجاتی۔ اُنہیں ایک احمد شاہ عبدالی کی ضرورت تھی مگر اس کا وہاں کوئی وجود نہیں تھا۔ عام مسلمان اسپین کے قومی دھارے میں شامل ہو گئے اور بے روزگار ہوجانے کی وجہ سے ملّا اسپین چھوڑ چھوڑ کر چلے گئے۔ جن مسلمانوں کواعتقاد کے لحاذ سے سخت سمجھا جاتا تھا ان کا آخری قافلہ اسپین کو  الوداع کہہ کر 1612 میں وہاں سے روانہ ہوگیا۔
ہندوستان میں بھی سیاسی قیادت اُن پارٹیوں کی دم چھلّا بن گئی جن کی قیادت اعلیٰ ذات کے ہندوؤں کے ہاتھ میں ہے۔ صرف عالم دین مولانا ابولحسن ندوی نے ہندوستانی مسلمانوں کی ثقافتی شناخت کی حفاظت کرنے کی کوشش کی ہے۔
ہندوستان میں ’’تجربہ اسپین‘‘ پوری توانائی اور فعالیت کے ساتھ اپنایا جا رہا ہے۔ اردو زبان، جو ہندوستان میں اُتنی ہی اسلامی ہے جتنا اسپین میں عربی اسلامی تھی، کو ختم کیا جارہا ہے۔ اِس صورتحال کا مشاہدہ ہم نے بنگلور میں ہونے والے عالمی تبلیغی اجتماع میں کیا۔ (دلت وائس 15 مارچ 1985 )۔ یہ لوگ عوام میں پہنچنے کے بجائے نفسیاتی اور جسمانی گوشہ نشینی کا سہارا لے رہے ہیں۔ مسلمانوں کی جانوں اور املاک کی حفاظت کرنے کی غرض سے اٹھائےجانے والے کسی بھی قدم کو فرقہ واریت کا نام دے دیا جاتا ہے۔ کوئی مسلمان اعلیٰ ذات کے ہندوؤں کی تائید نہ بھی کر رہا ہو بلکہ ان کی محبت کا ڈھونگ کر رہا ہو تو اسے ’’نیشنلسٹ مسلم‘‘ سمجھا جاتا ہے۔ مسلم عوام اور تعلیم یافتہ امیرمسلمانوں کے درمیان فاصلہ دن بدن بڑھتا چلا جا رہا ہے۔ مسلمان قیادت خود بھی مسلمانوں کے قتل عام کو فطری بات سمجھتی ہے۔ جب کبھی بھی اس قسم کے مسا ئل کوبین الاقوامی اسلامی پلیٹ فارمز پر اٹھایا جاتا ہے تو اسے ہندوستان کے اندرونی معاملات میں مداخلت سے تعبیر کیا جاتا ہے۔ تعلیمی نصاب سے مسلم تاریخ خارج کردی گئی۔ نامورمسلمان جن کی اموات ہندوستان میں اور ہندوستان کیلئے ہوئیں ان کے نام لینے سے گریز کیا جاتا ہے۔ ٹیپو سلطان جس کی شہادت ہندوستان کیلئے ہوئی نئی نسل اُس تک کے نام سے نا آشنا ہے۔ اِس کے برعکس تاتیا ٹوپے، جس نے ہندوستان کیلئے نہیں بلکہ اپنی پینشن کیلئے جنگ کی تھی اور جھانسی لکشمی بائی جو اپنے سوتیلے بیٹے کو اپنے تخت کا وارث بنانے کیلئے لڑی تھی، ان کے نام ہرہندوستانی کے لبوں پر ہیں۔ سائنس، طب، موسیقی، آرٹ  کی خدمت یا بہادری کیلئے کسی مسلمان کو انعام نہیں دیا جاتا۔ انتہا تو یہ ہے کہ مولانا آزاد، قدوائی، سید محمود، ہمایوں کبیروغیرہ جنہوں نے حکمراں پارٹی کانگریس کے پرچم تلے ملک کی آزادی کی لڑائی لڑی، ان کے ناموں پر کسی سڑک کا نام نہیں رکھا جاتا۔ تاریخ دوبارہ لکھی جا رہی ہے (Falsifying Indian History یعنی “تاریخ ہند کو جھوٹ سے آلودہ کرنے کا عمل” دلت وائس 16 اپریل 1985 ) مسلمانوں کو روزانہ مارا جارہا ہے اور ان کے مکان اور املاک جلائے جارہے ہیں۔ فوج، پولیس اور انتظامیہ کے دروازے ان کیلئے بند ہیں۔ اس کے باوجود اسلام کی حفاظت کی خاطرمسلم تنظیمیں خود رو گھاس کی طرح وجود میں آتی چلی جارہی ہیں۔ ہر کوئی اسلام کی حفاظت کیلئے فکرمند ہے، کوئی بھی مسلمانوں کی حفاظت نہیں کرنا چاہتا۔ ہم اس بارے میں واقعی فکرمند ہیں۔
حکمراں طبقے کی پالیسیوں کے مطالعے سے یہ بات سامنے آتی ہے کہ اِس میں اور اسپین میں فرڈنانڈ اور ازابیل کی پالیسیوں میں بہت زیادہ مماثلت ہے۔ فرق صرف اتنا ہے کہ بیسوی صدی میں اقوام متحدہ کے منشوربرائے انسانی حقوق اور بین الاقوامی رائے عامہ کی وجہ سے اعلیٰ ذات کے ہندو زیادہ تیزاورمکاری میں زیادہ صلیقہ مند ہیں۔
آئے دن کے منظم مسلم کش فسادات میں جانی اورمالی نقصان، سب سے بڑھ کر یہ کہ مسلمانوں میں خوف کی کیفیت، دفاع، افواج اور پولیس میں مسلمانوں کا صفایا کر کے ان شعبوں میں برہمنی سوچ کا فروغ دیا جانا، سرکاری نوکریوں اور اداروں میں تقرری کے دروازے مسلمانوں کیلئے بند کردینا، تعلیم اور ذرائع ابلاغ مثلاً ریڈیو اور ٹیلی ویژن وغیرہ میں برہمنی سوچ کا پھیلادیا جانا، 1947-48 میں، پنجاب، ہریانہ، یوپی، بہاراور مدھیہ پردیش، مہاراشٹرا، آندھرا پردیش، اور کرناٹک کے کچھ علاقوں سے اردو زبان کا خاتمہ،  آہستہ آہستہ اردواسکولوں کا بند کیا جانا، یہ سب مسلم دشمن پالیسیوں کی واضح مثالیں ہیں۔
نفسیاتی جنگ کے محاذ پرمسلم پرسنل لا، جسے اب یکساں سول کوڈ کا نام دے کر اسے تحلیل کرنے کی کوشش کی گئی ہے، ہندو ثقافت کی بڑائی کا شور، ملک کی ترقی اور تعمیر میں مسلمانوں کی خدمات کو کم کرکے دکھانے کیلئے بدنام زمانہ مسلم دشمن شخصیات مثلاً ’’مہاتما‘‘ گاندھی، جی بی تلک، مدن موہن مالویہ، ویر ساورکر، لالا لاجپت رائے کو بطور ہیرو پیش کرنا، ہندوستان کی تاریخ دوبارہ لکھنا، جو کاروبار مسلمانوں کے ہاتھ میں ہیں مثلاً گوشت کا کاروبار، اسے گناہ بتا کر گائے کی حفاظت کی پالیسیوں کو فروغ دینا اور مسلمانوں کے ذریعے امپورٹ ایکسپورٹ کے کاروبار کو اسمگلنگ سے تعبیر کرنا، یہ وہ حرکتیں ہیں جن سے ہندوستان کے سادہ لو عوام کو گمراہ کیا جاتا ہے جس سے مسلمانوں کے خلاف نفرت پیدا ہوتی ہے۔ مسلم اکثریتی حلقہ انتخاب کو مختلف طریقوں سے تقسیم کیا جاتا ہے تاکہ مسلمانوں کے ووٹ بے وزن ہو جائیں اور ان علاقوں پرایسے انتہا پسند سیکولر مسلم لیڈروں کو مسلط کردیا جاتا ہے جنہوں نے اب گائے کی پرستش شروع کردی ہے اوران مناظر کو باقاعلہ ٹیلی ویژن پر دکھایا جاتا ہے۔ بد قسمتی سے حکومت سے ناامید مسلم قائدین ہندوؤں پر مزید انحصار کرنے لگتے ہیں اور اس بات کو بھول جاتے ہیں کہ  ہندو (دلت) عوام اس پروپیگنڈے کا سب سے زیادہ شکار ہیں۔ اس وقت تو محض بیج بوئے جا رہے ہیں فصل کاٹے جانے کا وقت تو ابھی آنا ہے۔ اور فصل کاٹے جانے  کے وقت ہندوستان میں جو کچھ کاٹا جا رہا ہوگا وہ وہی ہوگا جو اسپین میں ہوچکا ہے الا یہ کہ مسلمان جلدی سے جوابی اقدامات کی تیاری کرلیں۔
یہی وقت ہے جب مسلمان یا ان میں دانشمند حضرات اٹھ کھڑے ہوں اور ہندوستان میں اسپین کی تاریخ دوہرائے جانے کو روک دیں۔ اسلام کی حفاظت ہمیشہ عوام نے کی ہے نہ کہ اونچے طبقے سے تعلق رکھنے والوں نے۔ دولت مند مسلمانوں کا تناسب (کچھ استشناؤں کے علاوہ) پانچ فی صد بھی نہیں ہے جو استحصال کرنے والے اعلیٰ ذات والوں کے ساتھ شامل ہو رہے ہیں۔ ہو سکتا ہے یہ طبقہ اسلام کی باتیں کرتا ہو مگر مسلمانوں کو بھول چکا ہے۔ برائے مہربانی یہ بات ذہن میں رکھیں کہ مذہب اپنے ماننے والوں کی حفاظت نہیں کرتا بلکہ مذہب کے ماننے والے مذہب کی حفاظت کرتے ہیں۔ یاد رکھیں کہ ہندوستان میں اسلام کو بچانے کیلئے مسلمانوں کو بچانا پڑے گا۔
ترجمہ محمد غزالی خان

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